76 Part
44 times read
0 Liked
अफ़सोस कि दनदां का किया रिज़क़ फ़लक ने / ग़ालिब अफ़सोस कि दनदां का किया रिज़क़ फ़लक ने जिन लोगों की थी दर-ख़ुर-ए-अक़्द-ए-गुहर अंगुश्त काफ़ी है निशानी तिरा छल्ले का न ...